Friday, September 21, 2018

'मानव समाज' राहुल सांक्रित्यायन की चार किताबों की सीरीज़ की एक किताब है। इसको पढ़ने के बाद अन्य तीन को पढ़ने की इच्छा जाग उठती है।

विश्व की रूपरेखा, दर्शन दिग्दर्शन और वैग्यानिक भौतिकवाद बाकी तीन किताबें हैं। ये चारों किताबें मानव जाति के अब तक के अर्जित ग्यान का संक्षेप हैं। ऐसा राहुल जी किताब के प्राक्कथन में कहते हैं।

मानव समाज पढ़कर लगता है कि उनका ये कहना काफी हद तक जायज है। किताब १९४२ में सेंट्रल जेल हजारीबाग में लिखी गयी थी। तब जेल में साथियों के पास जो भी साहित्य या किताबें उपलब्ध थीं उनके सहारे और कुछ अपने अनुभव के आधार पर लिखी गयी है।

जब युवाल नोवाह हरीरी की 'सेपियंस' पढ़ी तो वो शानदार किताब लगी। अंग्रेज़ी की बेस्ट सेलर किताबों में से है। लगा कि हिंदी में ऐसी किताब कोई क्यों नहीं लिखता?

मानव समाज काफी हद तक हिंदी की सेपियंस है जिसका फोकस तब का भारतीय समाज है।

कहीं मिल जाये तो ज़रूर खरीद लें।

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