इक़बाल बानों की पैदाईश दिल्ली में १९३५ में हुई। शादी के बाद मुल्तान, पाकिस्तान चली गयी। गाना जारी रखा और रेडियो पाकिस्तान और फिल्मों में भी गाया।
१९८५ में एक प्रोग्राम में काली साड़ी पहनकर "हम देखेंगे " नज़्म गायी। तब जनरल ज़ियाउल हक का शासन था जो पाकिस्तान को कट्टर पाकिस्तान बनाने पर तुले हुए थे।
साड़ी को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया ये कहकर कि ये इस्लामी लिबास नहीं है।
इक़बाल बानों ने साड़ी पहनी और नज़्म भी वो गायी जिसको फैज़ साहब ने लिखा था। ज़ियाउल हक और फैज़ साहब दो अलग सिरे थे।
इक़बाल बानों का पब्लिक अपियरेंस इस के बाद बंद (बैन) कर दिया गया। पर लोगों के दिलों में वो हमेशा के लिए जगह बना गयीं।
१९८५ में एक प्रोग्राम में काली साड़ी पहनकर "हम देखेंगे " नज़्म गायी। तब जनरल ज़ियाउल हक का शासन था जो पाकिस्तान को कट्टर पाकिस्तान बनाने पर तुले हुए थे।
साड़ी को पाकिस्तान में बैन कर दिया गया ये कहकर कि ये इस्लामी लिबास नहीं है।
इक़बाल बानों ने साड़ी पहनी और नज़्म भी वो गायी जिसको फैज़ साहब ने लिखा था। ज़ियाउल हक और फैज़ साहब दो अलग सिरे थे।
इक़बाल बानों का पब्लिक अपियरेंस इस के बाद बंद (बैन) कर दिया गया। पर लोगों के दिलों में वो हमेशा के लिए जगह बना गयीं।
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