लैटिन का एक फ्रेज है "ओडियम थियोलॉजिकम" ।
ये धार्मिक मसलों पर होने वाले झगड़ों पर दिखाये जाने वाले गुस्से और नफरत को दर्शाता है।
जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने निबंध "ऑन लिबर्टी" में लिखा है कि चरमपंथी और रूढ़िवादी लोगों में ओडियम थियोलॉजिकम ज़रूर ही नज़र आता है बल्कि ये लोग उसे सही मानते है।
ऐसे लोग जो लॉजिक के बजाय अपनी रूढ़िवादी विचारधारा को ही सही मानते हैं और समाज के सभी लोगों पर उसे थोपना चाहते हैं।
आये दिन ये जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचने को लेकर जो बवाल मचा रहता है ये और कुछ नहीं बस ओडियम थियोलॉजिकम ही है।
जॉन स्टुअर्ट मिल ने ऐसे लोगों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया है और ये कहा है कि सामाजिक तानाशाही से लोगों को बचाने के प्रबंध होने चाहिए।
सामाजिक तानाशाही , सरकारी तानाशाही से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उससे बचने के लिए व्यक्ति कहीं नहीं जा सकता ।
आजकल जो ये हर दूसरे दिन किसी को लिंच करके मार डालने का ट्रेंड चला है ये एक तरह की सामाजिक तानाशाही है और उससे व्यक्ति को बचाने के प्रबंध होने चाहिए।
हमारा संविधान समाज के बजाय व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात करता है और ये अंबेडकर के ऊपर जॉन स्टुअर्ट मिल और उनके जैसे अन्य दार्शनिक वैचारिक लोगों के प्रभाव को दिखाता है।
जॉन स्टुअर्ट मिल का यह निबंध हर नैतिक शिक्षा की क्लास में पढ़ाया जाना चाहिए। फालतू की नैतिक शिक्षा के मुकाबले आज के समाज में मिल के विचार ज्यादा रेलेवेंट या ज़रूरी नज़र आते हैं।
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