"आज़ादी मेरा ब्रांड" जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है हिंदी की नयी पीढ़ी की किताब है।
नामवर सिंह जी किताब की समीक्षा में लिखते हैं कि हिंदी में तीन लेखकों के यात्रा संस्मरण मील के पत्थर रहे हैं। पहले राहुल सांक्रित्यायन , दूसरे अग्येंय और तीसरे निर्मल वर्मा । चौथा नाम अनुराधा का होने जा रहा है।
अगर आप यूरोप के कुछ हिस्से कम खर्च में और अकेले घूमना चाहते हैं तो यह किताब मददगार है।
किताब में couchserfing जैसी वेबसाइट से रहने का इंतज़ाम करते हुए और ride share करते हुए अनुराधा जी ने किस प्रकार यूरोप के दस को करीब शहर घूमे उसका सजीव वर्णन है।
बीच बीच में खासी गंभीर बातें इतनी आसानी से कह दी गयी हैं कि पढ़ कर हैरानी होती है।
अगर यात्रा संस्मरण पढ़ने का शौक हो तो ज़रूर खरीदें और पढ़ें ।
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