सुशांत सिंह रिटायर्ड आर्मी अफसर हैं और फिलहाल इंडियन एक्सप्रेस में रक्षा सम्बन्धी विशयों पर लिखते हैं।
मिशन ओवरसीज मूलतः अंग्रेजी में लिखी गयी है और ये उसका हिंदी अनुवाद है। भारतीय सेना के तीन मिशन इसमें कवर किये गए हैं।
पहला मिशन कैक्टस (जो कि मालदीव में सेना की कार्रवाई से सम्बंधित है ), मिशन पवन ( जो कि श्रीलंका में सेना की कार्रवाई से सम्बंधित है ) और तीसरा मिशन खुकरी ( जो सिएरा लियॉन में हुयी कार्रवाई से सम्बंधित है)
मिशन पवन ज़्यादा डिटेल में लिखा गया है क्योंकि उसका स्केल बड़ा था और मिशन की जानकारियां काफी रोचक है। मिशन कैक्टस के बारे में पढ़ना काफी सुखद रहा। अच्छी जानकारी मिलती है। वरना इस मिशन पर ज़्यादा बात नहीं होती है। राजीव गाँधी का प्रधान मंत्री रहते जो नजरिया था वो मिशन कैक्टस और मिशन पवन से पता चलता है की देश की छवि के बारे में वो कैसे सोचते थे।
एल टी टी ई को लुंगी वाले क्या कर लेंगे कहना कितना काम आंकलन था , किताब पढ़ कर पहली बार आभास होता है। टेररिस्ट आर्गेनाईजेशन कैसे काम करती हैं इस पर बहुत काम है किताब में। सिर्फ सेना वाला हिस्सा ही ज़यादा है।
मिशन खुकरी यूँ तो छोटा मिशन था और उसके बारे में काम पन्नों में ही लिखा है। तब प्रधानमंत्री अटल जी द्वारा सब दलों को निर्णय में शामिल करना एक अच्छी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बारे में उनके विचार साफ़ करता है।
किताब में आर्मी के बारे में काफी जानकारी मिलती है। पैरा कमांडो से सम्बंधित जानकारियां काफी अच्छी है। मेजर श्योनेन सिंह का ऑपरेशन पवन के समय का साहस और ले. कर्नल विनोद भटिआ और ब्रिगेडियर फ़ारूक़ बलसारा वाले हिस्से किताब में काफी अच्छे हैं।
डिप्लोमेट ए के बनर्जी का योगदान ऑपरेशन कैक्टस में एक बॉलीवुड मसाला मूवी के लायक है। किताब ऐसी है जैसा अगर आप अपने किसी आर्मी के दोस्त से गॉसिप सुनते हैं। रिसर्च अच्छा है पर काम लगता है। क्योंकि ज़यादातर चीज़ें ऑफिसियल रिकार्ड्स के माध्यम से पब्लिक नहीं की गयी हैं। किताब पढ़ने में काफी रोचक है जिसे आप लगातार एक फिल्म देखने की तरह पढ़ जाएंगे।
मिशन ओवरसीज मूलतः अंग्रेजी में लिखी गयी है और ये उसका हिंदी अनुवाद है। भारतीय सेना के तीन मिशन इसमें कवर किये गए हैं।
पहला मिशन कैक्टस (जो कि मालदीव में सेना की कार्रवाई से सम्बंधित है ), मिशन पवन ( जो कि श्रीलंका में सेना की कार्रवाई से सम्बंधित है ) और तीसरा मिशन खुकरी ( जो सिएरा लियॉन में हुयी कार्रवाई से सम्बंधित है)
मिशन पवन ज़्यादा डिटेल में लिखा गया है क्योंकि उसका स्केल बड़ा था और मिशन की जानकारियां काफी रोचक है। मिशन कैक्टस के बारे में पढ़ना काफी सुखद रहा। अच्छी जानकारी मिलती है। वरना इस मिशन पर ज़्यादा बात नहीं होती है। राजीव गाँधी का प्रधान मंत्री रहते जो नजरिया था वो मिशन कैक्टस और मिशन पवन से पता चलता है की देश की छवि के बारे में वो कैसे सोचते थे।
एल टी टी ई को लुंगी वाले क्या कर लेंगे कहना कितना काम आंकलन था , किताब पढ़ कर पहली बार आभास होता है। टेररिस्ट आर्गेनाईजेशन कैसे काम करती हैं इस पर बहुत काम है किताब में। सिर्फ सेना वाला हिस्सा ही ज़यादा है।
मिशन खुकरी यूँ तो छोटा मिशन था और उसके बारे में काम पन्नों में ही लिखा है। तब प्रधानमंत्री अटल जी द्वारा सब दलों को निर्णय में शामिल करना एक अच्छी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बारे में उनके विचार साफ़ करता है।
किताब में आर्मी के बारे में काफी जानकारी मिलती है। पैरा कमांडो से सम्बंधित जानकारियां काफी अच्छी है। मेजर श्योनेन सिंह का ऑपरेशन पवन के समय का साहस और ले. कर्नल विनोद भटिआ और ब्रिगेडियर फ़ारूक़ बलसारा वाले हिस्से किताब में काफी अच्छे हैं।
डिप्लोमेट ए के बनर्जी का योगदान ऑपरेशन कैक्टस में एक बॉलीवुड मसाला मूवी के लायक है। किताब ऐसी है जैसा अगर आप अपने किसी आर्मी के दोस्त से गॉसिप सुनते हैं। रिसर्च अच्छा है पर काम लगता है। क्योंकि ज़यादातर चीज़ें ऑफिसियल रिकार्ड्स के माध्यम से पब्लिक नहीं की गयी हैं। किताब पढ़ने में काफी रोचक है जिसे आप लगातार एक फिल्म देखने की तरह पढ़ जाएंगे।
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