फिल्म पद्मावती अच्छी है। इतिहास से ताल्लुक कम भंसाली की कल्पना से ज्यादा है।
खिलजी अरबी गाने अच्छा गाते हैं। अब ये नहीं पूछना चाहिए कि तुर्क अरबी कैसे गा रहे हैं। याअल्ला हबीबी गाना अच्छा लगता है। बस बेल्ली डांस की जगह जंगली डांस है। खिलजी उस समय के तुर्क थे तो जब गाना और म्यूज़िक दे सकते हैं तो जोधा अकबर की तरह सूफी डांस ही करवा देते।
बिन्ते ए दिल मिसीरिया में वाला गाना भी अच्छा है। मलिक काफूर का रोल जिस बंदे ने किया है वो सही जम रहा है।
मेहरून्निसा के रोल में अदिति राव हैदरी अच्छी लगीं है। वो खुद भी हैदराबाद के निजाम के खानदान से ताल्लुक रखती हैं । शाही खून चेहरे पर नज़र आता है।
भंसाली जी को गुलाबी आँखे बहुत पसंद हैं । दोनों मल्लिकाएँ हर वक्त हल्की गीली गुलाबी आँखों में नज़र आती हैं।
बाजीराव मस्तानी वाला पागलपन डांस रणबीर सिंह इसमें और आगे ले गये हैं।
शाहिद कपूर सिक्स पैक ऐब्स वाले राणा ऱावल सिंह के रोल में जंच रहे हैं पर दीपिका के सामने बच्चे लग रहे हैं। रतन सिंह की पहली पत्नी अपने मोतियों के हार के लिए इसरार करती है और सिंहल द्वीप से मोती लाने राणा सा निकल जाते हैं। मोती तो लाते ही हैं साथ में पद्मावती को भी ले आते हैं।
पहली रानी को गलती का एहसास होता है कि बेवजह की डिमांड से क्या होता है ।
दीपिका पद्मावती लगती भी हैं और रोल भी अच्छा निभाया है। सिंहल द्वीप के सुंदर झरनों के बीच हिरनी का शिकार करती राजकुमारी का सीन अच्छा है।
रज़ा मुराद जलालुद्दीन ख़िलजी के रोल में पुराने दौर की याद दिलाते हैं।
फिल्म इतिहास लॉजिक और हकीकत से बिल्कुल परे है जैसा कि डिस्क्लेमर कहता है।
तंदूरी मटन और तंदूरी चिकन देख पेट की भूख बढ़ जाती है।
फिल्म मूलतः जौहर को समर्पित है। आधा घंटा उसी की तैयारी चलती है।
पैसा और टाईम दोनों हो तो टाईमपास कर सकते हैं।
खिलजी अरबी गाने अच्छा गाते हैं। अब ये नहीं पूछना चाहिए कि तुर्क अरबी कैसे गा रहे हैं। याअल्ला हबीबी गाना अच्छा लगता है। बस बेल्ली डांस की जगह जंगली डांस है। खिलजी उस समय के तुर्क थे तो जब गाना और म्यूज़िक दे सकते हैं तो जोधा अकबर की तरह सूफी डांस ही करवा देते।
बिन्ते ए दिल मिसीरिया में वाला गाना भी अच्छा है। मलिक काफूर का रोल जिस बंदे ने किया है वो सही जम रहा है।
मेहरून्निसा के रोल में अदिति राव हैदरी अच्छी लगीं है। वो खुद भी हैदराबाद के निजाम के खानदान से ताल्लुक रखती हैं । शाही खून चेहरे पर नज़र आता है।
भंसाली जी को गुलाबी आँखे बहुत पसंद हैं । दोनों मल्लिकाएँ हर वक्त हल्की गीली गुलाबी आँखों में नज़र आती हैं।
बाजीराव मस्तानी वाला पागलपन डांस रणबीर सिंह इसमें और आगे ले गये हैं।
शाहिद कपूर सिक्स पैक ऐब्स वाले राणा ऱावल सिंह के रोल में जंच रहे हैं पर दीपिका के सामने बच्चे लग रहे हैं। रतन सिंह की पहली पत्नी अपने मोतियों के हार के लिए इसरार करती है और सिंहल द्वीप से मोती लाने राणा सा निकल जाते हैं। मोती तो लाते ही हैं साथ में पद्मावती को भी ले आते हैं।
पहली रानी को गलती का एहसास होता है कि बेवजह की डिमांड से क्या होता है ।
दीपिका पद्मावती लगती भी हैं और रोल भी अच्छा निभाया है। सिंहल द्वीप के सुंदर झरनों के बीच हिरनी का शिकार करती राजकुमारी का सीन अच्छा है।
रज़ा मुराद जलालुद्दीन ख़िलजी के रोल में पुराने दौर की याद दिलाते हैं।
फिल्म इतिहास लॉजिक और हकीकत से बिल्कुल परे है जैसा कि डिस्क्लेमर कहता है।
तंदूरी मटन और तंदूरी चिकन देख पेट की भूख बढ़ जाती है।
फिल्म मूलतः जौहर को समर्पित है। आधा घंटा उसी की तैयारी चलती है।
पैसा और टाईम दोनों हो तो टाईमपास कर सकते हैं।
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