हिंदी के लेखकों में से कोई एक लेखक जिसका लेखन ट्रूली ग्लोबल लगता है, तो वो हैं निर्मल वर्मा ।
जब तक अंग्रेज़ी साहित्य से रूबरू नहीं हुआ था तब तक विदेश खासकर यूरोप की पहचान निर्मल वर्मा के लेखन से हुई।
चीड़ों पर चांदनी उनका यात्रा संस्मरण है। हर पेज पढ़ कर कुछ नया जानने को मिलता है और कुछ नया खोजने को भी।
किताब या तो ऐसी हो जिसमें अच्छी खासी रिसर्च हो या आपने किताब में लिखी बात जी हो तभी कुछ पढ़ने में मज़ा आता है।
जब तक अंग्रेज़ी साहित्य से रूबरू नहीं हुआ था तब तक विदेश खासकर यूरोप की पहचान निर्मल वर्मा के लेखन से हुई।
चीड़ों पर चांदनी उनका यात्रा संस्मरण है। हर पेज पढ़ कर कुछ नया जानने को मिलता है और कुछ नया खोजने को भी।
किताब या तो ऐसी हो जिसमें अच्छी खासी रिसर्च हो या आपने किताब में लिखी बात जी हो तभी कुछ पढ़ने में मज़ा आता है।
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