प्राइवेट म्यूजियम अब धीरे धीरे हिन्दुस्तान में अपनी जगह बना रहे हैं । हालांकि उत्तर भारत में अभी चलन कम है। उत्तर भारत में रईसी तो आ जाती है लेकिन उस पैसे का सदुपयोग नहीं होता। और पैसा कमाने की भूख बढ़ती हुई राजनीति तक में खत्म हो जाती है।
आर्ट और कल्चर की बातें करने वाले कुछ काम नहीं करते आर्ट के लिए ।
गोवा में एक प्राइवेट म्यूजियम नज़र आया। गोवा चित्र म्यूजियम । विक्टर ह्यूगो गोमेज़ नामक शख्स ने इसकी शुरुआत की जो खुद पेशे से आर्टिस्ट और पेंटर हैं।
एक एश्वेक विन्टेज वर्ल्ड नामक विन्टेज कार म्यूजियम भी दिखा जो कि म्यूजियम कम विन्टेज कार गैराज ज्यादा है। पर फिर भी एक अच्छी कोशिश है।
किरन नाडार आर्ट म्यूजियम दिल्ली में है। किरन नाडार एच सी एल ग्रुप के हेड शिव नाडार की पत्नी हैं। आर्ट कलेक्टर हैं।
दिल्ली में ज्यादातर सरकारी म्यूजियम ही है। वो भी अधिकतर नेहरू जी और मौलाना अबुल कलाम आजाद के जमाने के। अब इस टाइप के काम पर सरकारी खर्च बस रखरखाव तक ही सीमित है।
नया कुछ बन नहीं रहा। और बनने चाहिए।
आर्ट और कल्चर की बातें करने वाले कुछ काम नहीं करते आर्ट के लिए ।
गोवा में एक प्राइवेट म्यूजियम नज़र आया। गोवा चित्र म्यूजियम । विक्टर ह्यूगो गोमेज़ नामक शख्स ने इसकी शुरुआत की जो खुद पेशे से आर्टिस्ट और पेंटर हैं।
एक एश्वेक विन्टेज वर्ल्ड नामक विन्टेज कार म्यूजियम भी दिखा जो कि म्यूजियम कम विन्टेज कार गैराज ज्यादा है। पर फिर भी एक अच्छी कोशिश है।
किरन नाडार आर्ट म्यूजियम दिल्ली में है। किरन नाडार एच सी एल ग्रुप के हेड शिव नाडार की पत्नी हैं। आर्ट कलेक्टर हैं।
दिल्ली में ज्यादातर सरकारी म्यूजियम ही है। वो भी अधिकतर नेहरू जी और मौलाना अबुल कलाम आजाद के जमाने के। अब इस टाइप के काम पर सरकारी खर्च बस रखरखाव तक ही सीमित है।
नया कुछ बन नहीं रहा। और बनने चाहिए।
No comments:
Post a Comment