रिकार्डो एलिसर नेफताली रीस बेसोअल्टो उर्फ़ (पाब्लो नेरुदा)
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पाब्लो नेरुदा, का असल नाम रिकार्डो एलिसर नेफताली रीस बेसोअल्टो था।
पाब्लो नेरुदा उन्होंने अपना पेन नेम रखा। कुछ लोग मानते हैं कि ये नाम उन्होंने चेक कवि "जान नेरुदा" से प्रभावित होकर रखा।
अगर ये सच माना जाए तो कितना शानदार है कि कोई शख्स किसी दूसरे कवि से प्रभावित होकर अपना नाम रखे जो बाद में उनका लीगल नाम भी बना।
दूसरे कुछ लोग मानते हैं कि ये नाम उन्होंने मोरावियन वायलेनिस्ट विल्मा नेरुदा से प्रभावित होकर रखा।
चौदह साल की उम्र से नेरुदा कवि के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे और उनका कविता संग्रह "ट्वेंटी लव पोएम्स एंड ए सॉन्ग ऑफ़ डिस्पेयर" उन्होंने बीस साल की उम्र में पब्लिश किया।
गैब्रियल गार्सिया मार्केज, ने नेरुदा को बीसवीं शताब्दी का किसी भी भाषा में सबसे महान कवि बताया।
नेरुदा को चिली का राष्ट्र कवि भी माना जाता है।
नेरुदा कहते थे कि उन्होंने किसी भी किताब में कविता लिखने का फॉर्मूला नहीं पाया और ना ही वो नई पीढ़ी के कवियों के लिए ऐसी कोई सलाह देंगे।
नेरुदा कविता में लोगों के हाथों के निशान देखना चाहते थे। एक चिकनी मिट्टी सी कविता जिसमें पानी गीत गा सके। एक रोटी सी कविता जहां सब खा सकें।
नेरुदा स्पेन, फ्रांस और मैक्सिको में राजदूत भी रहे और चिली के संसद सदस्य भी रहे।
उनकी कविताओं में उस दौर के राजनीतिक घटनाओं से उपजा चिंतन भी दिखता है।
चाहे वो सेकंड वर्ल्ड वॉर हो, या क्यूबा की समस्या, रूसी कम्युनिज्म से लेकर वियतनाम युद्ध तक, सब कुछ उनकी नजर से कविता में दर्ज हुआ।
नेरुदा एक समय चिली के राष्ट्रपति बनने वाले थे जब उन्होंने साल्वाडोर आलेंदे को अपना समर्थन दिया और आलेन्दे राष्ट्रपति बने।
नेरुदा मानते थे की इंसान और लेखक की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जीवन को आत्मसात करने और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने की है।
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