डॉमिनिक लापिएर को वैसे तो हम उनकी किताब "फ्रीडम एट मिडनाइट" जो कि हिंदी में "आजादी आधी रात को" जो बंटवारे की प्रिष्टभूमि पर है, के लिए जानते हैं।
लापिएर फ्रेंच पत्रिका पेरिस मैच के पत्रकार थे। १९५६ में ख्रुश्चेव के समय वो अपने एक और फोटो पत्रकार जॉन पियरे के साथ , सपत्नीक मोटरकार से तत्कालीन सोवियत संघ की सड़क यात्रा पर निकले।
किसी विदेशी की सोवियत संघ में यह एक असाधारण यात्रा थी जिसकी अनुमति सीधा राष्ट्रपति से मिली थी।
इस यात्रा पर उन्होंने एक किताब लिखी "एक रोमांचक सोवियत रूस यात्रा" । यह किताब एक शानदार यात्रा संस्मरण है।
एक कविता है किताब में :-
****
सो जाओ नन्ही बच्ची सो जाओ,
मैं सुनाती हूँ एक कहानी , क्या लेनिन अच्छा था?
अच्छा था नन्ही बच्ची अच्छा था, सो जाओ ।
मैं सुनाती हूँ एक कहानी , क्या स्टालिन अच्छा था?
बुरा था नन्ही बच्ची , बहुत बुरा था, सो जाओ ।
सो जाओ, सो जाओ ।
मैं सुनाती हूँ एक कहानी , क्या ख्रुश्चेव अच्छा है ?
हम तब जानेंगे , जब वह नहीं रहेगा।
सो जाओ नन्ही बच्ची, सो जाओ ।
*****
किसी के जाने के बाद ही उसका सच्चा आंकलन हो पाता है। प्रचार के कारण, डर के कारण, तत्कालीन समय में कोई कुछ नहीं कह पाता।
लापिएर फ्रेंच पत्रिका पेरिस मैच के पत्रकार थे। १९५६ में ख्रुश्चेव के समय वो अपने एक और फोटो पत्रकार जॉन पियरे के साथ , सपत्नीक मोटरकार से तत्कालीन सोवियत संघ की सड़क यात्रा पर निकले।
किसी विदेशी की सोवियत संघ में यह एक असाधारण यात्रा थी जिसकी अनुमति सीधा राष्ट्रपति से मिली थी।
इस यात्रा पर उन्होंने एक किताब लिखी "एक रोमांचक सोवियत रूस यात्रा" । यह किताब एक शानदार यात्रा संस्मरण है।
एक कविता है किताब में :-
****
सो जाओ नन्ही बच्ची सो जाओ,
मैं सुनाती हूँ एक कहानी , क्या लेनिन अच्छा था?
अच्छा था नन्ही बच्ची अच्छा था, सो जाओ ।
मैं सुनाती हूँ एक कहानी , क्या स्टालिन अच्छा था?
बुरा था नन्ही बच्ची , बहुत बुरा था, सो जाओ ।
सो जाओ, सो जाओ ।
मैं सुनाती हूँ एक कहानी , क्या ख्रुश्चेव अच्छा है ?
हम तब जानेंगे , जब वह नहीं रहेगा।
सो जाओ नन्ही बच्ची, सो जाओ ।
*****
किसी के जाने के बाद ही उसका सच्चा आंकलन हो पाता है। प्रचार के कारण, डर के कारण, तत्कालीन समय में कोई कुछ नहीं कह पाता।
No comments:
Post a Comment