छुट्टी न लेना, देर तक बैठ कर काम करना उत्पादकता बढ़ाने में कितने कारगर हैं ?
कोई कहता है कि पंद्रह मिनट भी छुट्टी नहीं ली। कोई कहता है एक दिन भी नहीं ली।
क्या ऐसे लोग तनाव के शिकार नहीं होते ? वो पागल होने से खुद को कैसे रोक सकते हैं?
जो ये कहता है बड़ाई के लिए कि उसने एक भी छुट्टी नहीं ली उस से बड़ा संकट उस संस्थान के लिए कोई हो ही नहीं सकता । छुट्टी न लेकर वो अपना और अपने काम दोनों का बेड़ा गर्क कर रहा है।
ऐसे लोगों को अनिवार्यत: छुट्टी भेज देना चाहिए । शाम को देर बैठे दिखें तो धक्का देकर बाहर कर देना चाहिए, कि घर जाओ । कुछ अच्छा खाओ । आराम करो ।
अपना दूसरा जीवन जियो।
कोई कहता है कि पंद्रह मिनट भी छुट्टी नहीं ली। कोई कहता है एक दिन भी नहीं ली।
क्या ऐसे लोग तनाव के शिकार नहीं होते ? वो पागल होने से खुद को कैसे रोक सकते हैं?
जो ये कहता है बड़ाई के लिए कि उसने एक भी छुट्टी नहीं ली उस से बड़ा संकट उस संस्थान के लिए कोई हो ही नहीं सकता । छुट्टी न लेकर वो अपना और अपने काम दोनों का बेड़ा गर्क कर रहा है।
ऐसे लोगों को अनिवार्यत: छुट्टी भेज देना चाहिए । शाम को देर बैठे दिखें तो धक्का देकर बाहर कर देना चाहिए, कि घर जाओ । कुछ अच्छा खाओ । आराम करो ।
अपना दूसरा जीवन जियो।
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